Importance of silent मौन का महत्व
मौन का महत्व
मनुष्य प्राचीन काल से ही अभिव्यक्ति के विभिन्न माध्यमों का प्रयोग करता आ रहा है । यहां तक कि जब वह भाषा या शब्द भी नहीं जानता था तब भी उसे अपनी भावनाएं व्यक्त करना आता था । उसने अपने अस्तित्व का बोध कराने के लिए तमाम उपक्रम किए । कभी वह दीवारों पर चित्रों के माध्यम से अपनी बात कहता तो कभी अजीब सी आवाजें निकालता । काल की गति के साथ - साथ उसमें कई बदलाव आए । उसने भाषा सीखी । बोलना सीखा । चीखना - चिल्लाना भी सीख लिया । आधुनिक समय में तो अभिव्यक्ति के दर्जनों माध्यम हैं । सोशल मीडिया के इस युग में विभिन्न बातें रोचक तरीके से कही जा रही हैं । वे कुछ ही क्षणों में प्रसारित होने में सक्षम हैं । _ _ _ हालांकि बहुधा ऐसा देखने को मिलता है कि आपके मुख से निकले कुछ शब्द आपके लिए अप्रिय स्थिति उत्पन्न कर सकते हैं । ऐसी स्थितियों के लिए ही मौन की महत्ता बताई गई है । कहा भी गया है कि ' वाणी का वर्चस्व रजत है . किंत मौन कंचन है । हम कितना ही अच्छा और श्रेष्ठ क्यों न बोल लें वह केवल और केवल रजत ( चांदी ) की श्रेणी में आता है , परंतु व्यक्ति का मौन स्वर्ण यानी सोना है । मौन दैवीय अभिव्यक्ति है । इसका अपना महत्व है । विज्ञान भी मौन के महत्व को प्रमाणित करता है । जहां शोर उच्च रक्तचाप , सरदर्द और हृदय रोग इत्यादि देता है । वहीं मौन इन सबके के लिए औषधि का कार्य करता है । मौन ही है जो हमारे चिंतन को विराट स्वरूप प्रदान करता है । आधुनिक जीवन शैली में मौन का महत्व चमत्कार उत्पन्न करने में सक्षम है । जब व्यक्ति दिनभर कार्यों में व्यस्त रहता है । ध्वनि प्रदूषण के बीच जूझता है । तनाव के मकड़जाल में फंस जाता है । उसी समय मौन का सामीप्य उस पर मातृवत् प्रेम बरसाता है । अगर हम प्रतिदिन कुछ घंटे मौन के शरणागत होते हैं तो वह हमें रचनात्मकता प्रदान करता है । मौन की साधना साधक को अनेकों वरदान प्रदान करती है । ।
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