Dharam ka mahatva धर्म का महत्व
Importance of religion .
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Dharam ka mahetva . धर्म का महत्व संसार का सबसे प्राचीन संगठन ' धर्म ' ही है । जिसने मनुष्य को अव्यवस्थित स्थिति से उबार कर वास्तविक रूप से व्यवस्थित , सभ्य और सुसंस्कृत बनाया है । इसी के सहारे मनुष्य ने अपनी असभ्य जिंदगी को सामाजिक और सांस्कृतिक सूत्रों में | पिरोया और एक शक्तिशाली प्राणी के रूप में स्वयं को विकसित किया । सवाल यह है कि धर्म की प्राचीन काल में क्या महत्ता रही है तो हमें यह ज्ञात होना चाहिए कि प्राचीन काल में धार्मिक क्रियाकलापों द्वारा लोग एक दूसरे से मिलते जुलते थे जिससे समाज मे एकरूपता , एकता और अखंडता का पक्ष मजबूत होता चला । भारतीय उपमहाद्वीप के मौजूदा स्वरूप में विविधता के बावजूद भी एकीकृत _ और सुसंगठित समाज का रूप देखने को मिला , वहीं विदेशी आक्रमणकारियों के आने के बाद भी हमारे समाज के मूल स्वरूप बरकरार रहा जो यह दर्शाता है कि किस प्रकार धर्म और धर्म के प्रति लोगों की श्रद्धा ने समाज को एकजुट बनाए रखा । धर्म और उसकी धारणाओं के आधार पर लोगो में यह मानसिकता विद्यमान थी कि लोग कुकर्मी , पापी और पथभ्रष्ट न हों और समाज मे एकता बनी रहे , परंतु आज के बदलते परिवेश में जहां एक तरफ आधुनिकता का प्रसार हो रहा है वहीं दूसरी तरफ धर्म के नाम पर अधर्म बढ़ता जा रहा है । ऐसे में हमें इन विसंगतियों को देखना होगा जो अच्छाई का लोप करती जा रही हैं । धर्म मात्र बौद्धिक उपलब्धि ही नहीं है , वह मनुष्य की स्वाभाविक आत्मा है , परंतु वह शरीर और कर्म के आवरण से ढकी हुई है । इसीलिए वह अज्ञात है । वास्तव में धर्म का स्वरूप इतना व्यापक है कि वह किसी भी समाज को सही मार्गदर्शन दे सकता हैं । विश्व के सभी धर्म में अनेक अच्छाइयां हैं , पर वे तब विकृतियां बन जाती हैं , जब धर्म के नाम पर दुष्प्रचार और दूसरे धर्मों पर हावी होने की कल्पना आती हैं । हमें धर्म के सार्थक रूप को समझने की आवश्यकता है. शिव और शिवत्व |
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