The effect of food अन्न का प्रभाव

                   अन्न का प्रभाव ।।                                                                                                             
The effect of food                                                                            अन्न का प्रभाव       मनुष्य के जीवन में उसके खानपान एवं रहन सहन का सीधा असर पड़ता है । धर्मग्रंथों में उल्लिखित ' यथा अन्न तथा मन ' के विचार को चिकित्सक तक मानते हैं । शरीर में कोई बीमारी आने पर खानपान में परहेज की सलाह दी जाती है । खानपान का संबंध शरीर से ही नहीं मन से भी जुड़ा हुआ है । इसका उल्लेख गीता - उपदेश में भी है । युद्ध न करने का मंतव्य प्रकट करने वाले अर्जुन के मन को बदलने के लिए श्रीकष्ण उचित आहार संबंधित उपदेश भी देते है । श्रीकृष्ण सात्विक , राजस और तामस आहार की व्याख्या करते हैं तथा उससे पड़ने वाले सत - रज - तम गुणों का भी मतलब बताते हैं । श्रीकृष्ण की इस व्याख्या में गहरे भाव छिपे हैं । सात्विक आहार से व्यक्ति का मन मजबूत बनता है । चिकित्सक तक अल्प भोजन की सलाह देते हैं , क्योंकि ज्यादा भोजन से शरीर में विकार उत्पन्न होते हैं । बहुत से लोग समुचित तरीके से भोजन न करने से शारीरिक ही नहीं , मानसिक रूप से अस्वस्थ देखे जाते हैं । व्यक्ति का आहार के रूप में | जो भी खानपान है वह कितना सात्विक है . यह कोई और जाने या न जाने , वह खुद तो जानता है । छल , धोखा , ठगी , पराए व्यक्ति के हिस्से से अर्जित धन का उपयोग महाघातक होता है । प्रायः लोग कहते हैं कि वे तथा उनके घर के लोग तो बहुत सादा भोजन करते हैं फिर भी उनके घर कोई न कोई बीमार रहता है । इसका आशय भोजन में सात्विकता नहीं है । सात्विक एवं परिश्रम से अर्जित धन के उपभोग से शरीर ही नहीं आत्मबल भी मजबूत होता है । परिश्रम करने से स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है । स्पष्ट है कि अन्न का प्रभाव मन पर पड़ता है । दूषित तरीके से अर्जित अन्न से मन भी दूषित होता है । फिर मन अनियंत्रित भी हो जाता है । केवल सकारात्मक तरीके से अर्जित धन से आहार किया जाय तो जीवन हमेशा खुशियों से भरा रहेगा । परिवार में सकारात्मक उपलब्धियां भी आएंगी ।                                                        सफलता का मूल् मंत्र

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