Bhagya ka nirman kese kare अपने भाग्य का निर्माण कैसे करे
।भाग्य का निर्माण।
भाग्य निर्माण ---विपरीत परिस्थितियों में अक्सर लोग घुटने टेक देते हैं । ऐसे में हालात से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है और लोग परिस्थितियों के दास बनकर रह जाते हैं । हालांकि जो लोग हालात से लड़ना जानते हैं वे अपना भाग्य निर्माण स्वयं करते हैं और इतिहास पुरुष बन जाते हैं । कष्टदायक परिस्थितियों में पड़कर भी जिन लोगों ने श्रम , संयम , स्वाध्याय , सेवा , ईश्वर भक्ति , देशभक्ति , एकाग्रता और लगन का दामन नहीं छोड़ा निश्चित रूप से वे महान बने ।
भारत और विश्व इतिहास ऐसे लोगों के दृष्टांतों से भरा पड़ा है । अगर कोई भी साधारण मनुष्य इन सूत्रों को अपने जीवन में उतार ले तो वह भी महान बनने की राह पर अग्रसर हो सकता है । स्वयं से भाग्य निर्माण करना आसान काम नहीं है । और वह भी तब जब आप विपरीत परिस्थिति में फंसे हुए हों ।
इसके लिए हमें लगन के साथ कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी । सही दिशा में निरंतर प्रयास करते रहना होगा । अपने भीतर उत्साह बनाए रखना होगा ।
हमें एक बात और याद रखनी चाहिए कि महान व्यक्तियों ने जो प्रतिष्ठा प्राप्त की है , वह उन्हें एकाएक एक ही प्रयास में नहीं मिल गई । जब उनके दूसरे साथी सोए हुए थे तब वे चुप रहकर अपनी प्रगति के लिए निरंतर प्रयत्नशील थे । इस तरह वे उच्चता के शिखर पर पहुंच कर महान बन सके । दरअसल अपना भाग्य स्वयं निर्माण करने के लिए हमें सकारात्मकता से भी भरा रहना होगा । लोगों के मन में नकारात्मकता आना स्वाभाविक ही है , लेकिन हमें इसमें उलझना नहीं , बल्कि सकारात्मकता की ओर ध्यान लगाना होगा । हमें नकारात्मकता में भी सकारात्मकता ढूंढनी होगी ।
अगर हम विपरीत परिस्थिति में भी अपने अंदर सकारात्मकता और ऊर्जा को बनाए रखते हैं और सतत अपने प्रयास में लगे रहते हैं तो निश्चित रूप से दुनिया के अन्य महापुरुषों की तरह हम भी अपना भाग्य निर्माण स्वयं कर सकते हैं । फिर दुनिया हमारे रास्तों पर चलने में फख्र महसूस करेगी ।
भाग्य निर्माण ---विपरीत परिस्थितियों में अक्सर लोग घुटने टेक देते हैं । ऐसे में हालात से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है और लोग परिस्थितियों के दास बनकर रह जाते हैं । हालांकि जो लोग हालात से लड़ना जानते हैं वे अपना भाग्य निर्माण स्वयं करते हैं और इतिहास पुरुष बन जाते हैं । कष्टदायक परिस्थितियों में पड़कर भी जिन लोगों ने श्रम , संयम , स्वाध्याय , सेवा , ईश्वर भक्ति , देशभक्ति , एकाग्रता और लगन का दामन नहीं छोड़ा निश्चित रूप से वे महान बने ।
भारत और विश्व इतिहास ऐसे लोगों के दृष्टांतों से भरा पड़ा है । अगर कोई भी साधारण मनुष्य इन सूत्रों को अपने जीवन में उतार ले तो वह भी महान बनने की राह पर अग्रसर हो सकता है । स्वयं से भाग्य निर्माण करना आसान काम नहीं है । और वह भी तब जब आप विपरीत परिस्थिति में फंसे हुए हों ।
इसके लिए हमें लगन के साथ कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी । सही दिशा में निरंतर प्रयास करते रहना होगा । अपने भीतर उत्साह बनाए रखना होगा ।
हमें एक बात और याद रखनी चाहिए कि महान व्यक्तियों ने जो प्रतिष्ठा प्राप्त की है , वह उन्हें एकाएक एक ही प्रयास में नहीं मिल गई । जब उनके दूसरे साथी सोए हुए थे तब वे चुप रहकर अपनी प्रगति के लिए निरंतर प्रयत्नशील थे । इस तरह वे उच्चता के शिखर पर पहुंच कर महान बन सके । दरअसल अपना भाग्य स्वयं निर्माण करने के लिए हमें सकारात्मकता से भी भरा रहना होगा । लोगों के मन में नकारात्मकता आना स्वाभाविक ही है , लेकिन हमें इसमें उलझना नहीं , बल्कि सकारात्मकता की ओर ध्यान लगाना होगा । हमें नकारात्मकता में भी सकारात्मकता ढूंढनी होगी ।
अगर हम विपरीत परिस्थिति में भी अपने अंदर सकारात्मकता और ऊर्जा को बनाए रखते हैं और सतत अपने प्रयास में लगे रहते हैं तो निश्चित रूप से दुनिया के अन्य महापुरुषों की तरह हम भी अपना भाग्य निर्माण स्वयं कर सकते हैं । फिर दुनिया हमारे रास्तों पर चलने में फख्र महसूस करेगी ।
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