Khushi kese prapt kare खुशी कैसे प्राप्त करे
How to get Happiness
खुशी ----प्रत्येक व्यक्ति खुश रहने की कामना करता है , लेकिन रहता नहीं । इसका प्रमुख कारण यह है कि व्यक्ति अपने मन में बेवजह के अवसादों से चिंताग्रस्त रहता है । वह उन काल्पनिक चिंताओं की छवि को हृदय में आकार देकर रखता है जिनका कोई अस्तित्व ही नहीं है । इसी तरह कई बार व्यक्ति पुरानी पीड़ाओं के घाव को पीड़ामुक्त होने के बाद भी स्मरण करता रहता है ।
हमारे हृदय में अवचेतन मन 24 घंटे उपस्थित रहता है । यह अवचेतन मन व्यक्ति के अंतर्मन में रहता है । जो व्यक्ति काल्पनिक परेशानियों को दिन रात सोचते रहते हैं , अवचेतन मन में उन काल्पनिक परेशानियों का बोझ ' बढ़ता रहता है । व्यक्ति के चेहरे पर उन काल्पनिक परेशानियों के बोझ बीमारी , चिंता , क्रोध , ईर्ष्या के रूप में उजागर होते रहते हैं ।
खुशी दरसअल मनं की एक अवस्था है । इसे मन के अंदर ही प्राप्त किया जा सकता है । भौतिक वस्तुएं जैसे नौकरी , विवाह , अच्छा भोजन , घर , गाड़ी आदि क्षणिक आनंद प्रदान करती हैं , लेकिन खुशी नहीं । खुशी तो वह अवस्था है जिसे प्रकृति ने निःशुल्क प्रदान किया है । व्यक्ति इसके निःशुल्क महत्व को नहीं समझता और अपनी समझ से इसकी कीमत निर्धारित कर लेता है । जो व्यक्ति खुश होने का मंत्र जान जाता है , उसके लिए भौतिक वस्तुओं की प्राप्ति का अधिक महत्व नहीं होता , क्योंकि वह उनके न रहने पर और विपरीत परिस्थितियों में भी खुश रहना जानता है । खुशी को चुनने का विकल्प व्यक्ति के पास सदैव मौजूद रहता है ।
आप निम्न उपायों को आजमा करे देखें तो खुशी सैदव आपके आंगन की रौनक बन सकती है ।
सदैव सकारात्मक मानसिक दृष्टिकोण रखें । सुबह उठते ही खुशी का चुनाव करें । भय , क्रोध , ईर्ष्या को पंख न दें । तो आज से ही खुशी को चुनें और अपने मन के सहज भावों से खुशी के पंख लगाएं जिससे कि वह आपके इर्द गिर्द उड़कर हर ओर खुशी फैलाए और सबको सुखी बनाए ।
खुशी ----प्रत्येक व्यक्ति खुश रहने की कामना करता है , लेकिन रहता नहीं । इसका प्रमुख कारण यह है कि व्यक्ति अपने मन में बेवजह के अवसादों से चिंताग्रस्त रहता है । वह उन काल्पनिक चिंताओं की छवि को हृदय में आकार देकर रखता है जिनका कोई अस्तित्व ही नहीं है । इसी तरह कई बार व्यक्ति पुरानी पीड़ाओं के घाव को पीड़ामुक्त होने के बाद भी स्मरण करता रहता है ।
हमारे हृदय में अवचेतन मन 24 घंटे उपस्थित रहता है । यह अवचेतन मन व्यक्ति के अंतर्मन में रहता है । जो व्यक्ति काल्पनिक परेशानियों को दिन रात सोचते रहते हैं , अवचेतन मन में उन काल्पनिक परेशानियों का बोझ ' बढ़ता रहता है । व्यक्ति के चेहरे पर उन काल्पनिक परेशानियों के बोझ बीमारी , चिंता , क्रोध , ईर्ष्या के रूप में उजागर होते रहते हैं ।
खुशी दरसअल मनं की एक अवस्था है । इसे मन के अंदर ही प्राप्त किया जा सकता है । भौतिक वस्तुएं जैसे नौकरी , विवाह , अच्छा भोजन , घर , गाड़ी आदि क्षणिक आनंद प्रदान करती हैं , लेकिन खुशी नहीं । खुशी तो वह अवस्था है जिसे प्रकृति ने निःशुल्क प्रदान किया है । व्यक्ति इसके निःशुल्क महत्व को नहीं समझता और अपनी समझ से इसकी कीमत निर्धारित कर लेता है । जो व्यक्ति खुश होने का मंत्र जान जाता है , उसके लिए भौतिक वस्तुओं की प्राप्ति का अधिक महत्व नहीं होता , क्योंकि वह उनके न रहने पर और विपरीत परिस्थितियों में भी खुश रहना जानता है । खुशी को चुनने का विकल्प व्यक्ति के पास सदैव मौजूद रहता है ।
आप निम्न उपायों को आजमा करे देखें तो खुशी सैदव आपके आंगन की रौनक बन सकती है ।
सदैव सकारात्मक मानसिक दृष्टिकोण रखें । सुबह उठते ही खुशी का चुनाव करें । भय , क्रोध , ईर्ष्या को पंख न दें । तो आज से ही खुशी को चुनें और अपने मन के सहज भावों से खुशी के पंख लगाएं जिससे कि वह आपके इर्द गिर्द उड़कर हर ओर खुशी फैलाए और सबको सुखी बनाए ।
Comments
Post a Comment